Monday, March 14, 2011

महंत रामगिरी की पार्थिव देह को समाधि

भास्कर न्यूज& सादुलपुर

भोजाण गांव स्थित भोजाणेश्वर महादेव मंदिर के महंत व नागाबाबा रामगिरी की पार्थिव देह को रविवार दोपहर को मंदिर परिसर में जयकारों के बीच समाधि दी गई।

शनिवार को महंत के निधन की सूचना मिलने पर श्रद्धालु भोजाण पहुंचने शुरू हो गए थे। दिनभर दशनार्थियों की भीड़ लगी रही। रात को मंदिर में लगे जागरण में श्रद्धालुओं ने भजनों की प्रस्तुतियां देकर बाबा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। रविवार को सुबह पुन: दर्शनार्थियों का सैलाब उमड़ पड़ा। दोपहर 1.१५ बजे करीब बेनड़ा (पंजाब) के महंत चांदगिरी, महंत मौनीगिरी, महंत बलविंद्रगिरी, महंत भानगिरी, सातरोड़ के महंत देवपुरी, भिवानी के महंत शंकरगिरी, दनौदा के महंत थानपत धनुषपुरी, सोनल (हिमाचल प्रदेश) के महंत सेवागिरी, खेरी के महंत अशोकगिरी व सन्यासी श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के साधु-संतों की मौजूदगी में महंत रामगिरी के पार्थिव देह को मंदिर में बनाए गए समाधिस्थल में समाधि दी गई। इस मौके पर उपस्थित हजारों महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने समाधिस्थल पर पुष्प अर्पित किए और नागाबाबा रामगिरी के जयकारे लगाकर वातावरण को गुंजायमान कर दिया। गौरतलब है कि नागाबाबा महंत रामगिरी सन् 19५६-५७ में भोजाण आए थे। यहां आने के बाद उन्होंने कठिन तपस्याएं की और मंदिर का निर्माण करवाया। महंत ने गांव की बणी में निकाले जाने वाली हथकढ शराब को भी निकालना बंद करवाया। वे लोगों को नशा मुक्त जीवन जीने, धर्म के प्रति आस्था रखने और गो माता की सेवा के लिए प्रेरणा देते थे।

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